इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं

मनुष्य तू कैसा प्राणी है

ज्ञान के बावजूद भी अज्ञानी है

खुशनसीब है तू,

ईश्वर ने तुझे बनाया मानव है।

स्वांग मत रच तू, विश्वास का मत

खेल किसी के भाव से

न रंग अलग, न रूप अलग फिर

भी किस चीज का गुरूर तुझे।

जात-पात क्यों करते हो, हो तो

तुम सब एक ।

न भगवान अलग, न भाव

अलग,फिर भी क्यूँ हो भेद।

जन्म मिला है सुअवसर कि खोज करो ।

मत करो मानवता पर प्रहार मनुष्य हो मनुष्य की भांति

व्यवहार करो।

इंसानियत से बड़ा कुछ नही

मानवता से बड़ा कोई धर्म नही।