इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं रेणु शर्मा मनुष्य तू कैसा प्राणी हैज्ञान के बावजूद भी अज्ञानी हैखुशनसीब है तू,ईश्वर ने तुझे बनाया मानव है।स्वांग मत रच तू, विश्वास का मतखेल किसी के भाव सेन रंग अलग, न रूप अलग फिरभी किस चीज का गुरूर तुझे।जात-पात क्यों करते हो, हो तोतुम सब एक ।न भगवान अलग, न भावअलग,फिर भी क्यूँ हो भेद।जन्म मिला है सुअवसर कि खोज करो ।मत करो मानवता पर प्रहार मनुष्य हो मनुष्य की भांतिव्यवहार करो।इंसानियत से बड़ा कुछ नहीमानवता से बड़ा कोई धर्म नही।