सोंच और विचार धारा मे परिवर्तन लाना होगा रेणु शर्मा ऐ मानव !तू स्थिर नहीं परिवर्तनशील है।इतिहास के पन्नो को पलट कर देखअतीत के बदलाव वीरता का प्रतीक है॥अपने जीवन मे नित नए परिवर्तन लास्वयं को बदलावों मे डाल।प्रवाहित जल की तरह बनसंस्कृति के नवीन अध्याय प्रस्तुत कर॥प्रकृति का नियम है बदलाव हमेशा होता है ।एक पुराना गाँव भी आधुनिक गाँव बनता है॥अपनी विचारधाराओं सोंच और प्रवृत्तियों मे बदलाव ला।पुरातन विचारधारा को त्याग करनवीन प्रगति शील विचार अपना॥जब तक स्वयं मे परिवर्तन नहीं लाएगा।तब तक न स्वयं बदलेगान देश को बदल पाएगा॥सोच और विचार धारा मे परिवर्तन लाना है।आदिम युग से उठकरविकसित और सभ्य समाज मे जाना है॥