बेटी

इस संसार में भांति-भांति के इंसान है
कोई पैसे को बड़ा माने है।
तो कोई मानव को पूजे है।

बेटियां तो लक्ष्मी का रूप है
घर घर मे उनका वास है
सबको एक साथ लेकर चलना,
ये ही तो उनमें बात है।

शादी कराते बेटे की,
लाते घर मे पैसा है
लक्ष्मी सी बहू को
बाजार की वस्तु समझते है।

ये कैसी विडंबना है
बेटी का बाप ही रोता है
बेटी तो सौभाग्य से मिलती है
फिर भी दुख ही मिलता है।

बेटा जन्मे खुशियां आयी है
बेटी तो अपने साथ सौभाग्य लायी है।

माँ बाप का सहारा बेटी है
परायी होकर भी अपना फर्ज निभाई है
बेटा तो हमेशा रहता है फिर भी
परायों सा व्यवहार करता है।