बेटी रेणु शर्मा इस संसार में भांति-भांति के इंसान हैकोई पैसे को बड़ा माने है।तो कोई मानव को पूजे है।बेटियां तो लक्ष्मी का रूप हैघर घर मे उनका वास हैसबको एक साथ लेकर चलना,ये ही तो उनमें बात है।शादी कराते बेटे की,लाते घर मे पैसा हैलक्ष्मी सी बहू कोबाजार की वस्तु समझते है।ये कैसी विडंबना हैबेटी का बाप ही रोता हैबेटी तो सौभाग्य से मिलती हैफिर भी दुख ही मिलता है।बेटा जन्मे खुशियां आयी हैबेटी तो अपने साथ सौभाग्य लायी है।माँ बाप का सहारा बेटी हैपरायी होकर भी अपना फर्ज निभाई हैबेटा तो हमेशा रहता है फिर भीपरायों सा व्यवहार करता है।