जीवन मूल्य रेणु शर्मा व्यवहार मे परिवर्तन,विचारों मे चिंतनमुख मुस्कान,हृदय मे रुदन मन विचलित,पथ विचलितअनेक भाव मन की उलझन से विचलित। रंग रूप निराली वाणीविचार चिंतन से प्रभावी वाणीसोच रखो अपनी ऊंचीअहम मे कभी न डूबे वाणी। मर्यादा मे रहकर जीनापुरुषार्थ से कभी दूर न होना। कर्म प्राथमिक होता सबकासत्य,धर्म पर विश्वास सबका। वह मूल शक्ति खड़ी हुईअपने आलस का त्याग किएजीवन मूल्य समझना है जीवन पर्यंत संघर्ष करते रहना है। पाषाण भी हीरा बनता हैसामान्य मनुष्य भी चमकता हैसंघर्ष का होना जरूरी है ।