स्वार्थ रेणु शर्मा ऐ मानव ! क्यों करते हो इतना स्वार्थएक बार निःस्वार्थ होकर देखोस्वयं समझ जाओगे भावार्थ।ईश्वर कौन है क्यों ढूँढते होएक बार खुद में झांक कर देखोस्वयं समझ जाओगे कौन है भगवान।दूसरों में गलतियां निकालना आसान हैखुद में गलती निकाल कर बताओफिर पता चलेगा क्या होता है अपमान।सत्व,रज,तम से हुआ सृष्टि का सृजन हैये वो त्रिगुण है जो मनुष्य में विद्यमान हैसत्व,रज ज्ञान और ऊर्जा हैइसके विपरीत तम अज्ञान है।स्वार्थ और अहम मनुष्य को झुका देता है।ज्ञान और प्रकाश को मिटा देता है।