उठाओ कलम

जब भी कलम उठाई
एक सवाल आया
लिखने की कोशिश में
एक खयाल आया। 

क्यों ना कलम को एक
हथियार बनाया जाय
इसके जरिये समाज में फैले
विद्रूपताओं को भगाया जाय।

लिखो कुछ ऐसा जिससे
क्रान्ति सी आ जाये
करो कुछ ऐसा जिससे
सब भ्रान्ति ही मिट जाये।

देश हित के लिए एक
नायक का स्वरूप लाओ
अपने अन्दर बैठे उस
कुरूपता को भगाओ ।

बनो लाचारों का संबल
देखो न हो पाये उनके
अधिकारों का हनन।
चलो उन्हें भी कुछ बताया जाय
उन्हें भी कलम का हथियार दिलाया जाय। 

जब होगा उन्हे इसकी
ताकत का अन्देशा।
कर पायेगें वे भी अपने
आत्मसम्मान की रक्षा।
हर घर में इसका निर्माण
कराया जाय।
घर के कोनो से अन्धेरे
को मिटाया जाय।

इसकी स्याही में भरकर
अपने रक्त का एक एक कतरा 
दिखा दो सबको अपने
वजूद का हौसला।
कोई ना कोई संदेश
तो मिलेगा ही।
देश हित के सम्मान में
उठाओ ये कदम
जब भी मुश्किल में पड़ो
उठाओ कलम।