ख्वाहिश

तुम्हारे आने की खुशी में
हमने तुम्हे भुला दिया,
तुम इतने करीब थे दिल के मेरे
कि शुष्क आँखो ने भी हमें रुला दिया ।

बात हँसी की अगर होती
तो हँस लिया होता
मेरी मुस्कुराहट से भी अगर तुमने
गिला किया होता।
अपनी खुशियों में शामिल
कर लिए होते मगर,
जाते जाते तुमने
अपना नाम तो बता दिया होता ।

बात ख्वाहिशों की अगर करे
तो मेरी एक ख्वाहिश भी दर्ज है
नाम तुम्हारा ले करके अगर कहे,
तो तुम्हारी एक आजमाइश भी दर्ज है।

क्या पता तुम मिलो कभी उजालो की तरह
इसलिए तो हमने रात में पहरा लगा दिया
हमने हर ‘शै‘ में तुम्हे ढूँढने की कोशिश की है
जाते जाते तुमने अपना पता तो दिया होता।

ढूँढते हैं तुम्हे चराग लिए उजालो में दर बदर
उजालों से कह दो कि हमें सताया ना करे
हर इल्जाम लगाकर तुम्हे मुकम्मल कर दिये
अब तो अपनी बेगुनाही का सबूत दे दो।