तू कविता कहता चल

तू कविता कहता चल
मैं एक पंक्ति बन जाऊँ।

तू शब्द ढूँढ़ता चल
मैं सबकी अनुरक्ति बन जाऊँ।

तू भाव बताता चल
मैं शब्द बोध बन जाऊँ।

तू दीप जलाता चल
मैं ज्योति बन जाऊँ।

तू सागर सा बहता चल
मैं मोती बन जाऊँ।

तू राह दिखाता चल
मैं पथगामी बन जाऊँ।

जीवन के कठिन पथ की तेरे
मैं अनुगामी बन जाऊँ।