मै ख़यालों में एक जिन्दगी जी रहा तेरे साथ, जगा कर नींद से मुझे, इसे मुकम्मल कर दो।
मैं रोज तेरे झरोखों पर आता हूँ हवा बनकर, खिड़कियाँ खोलकर मुझे आगोश में समेट लेना। मेरी तकदीर तेरी तकदीर से जुड़ नहीं सकती शायद, इसलिए तो उस खुदा से तेरा जिक्र नही करता।
मुद्दतों हो गये मुस्कुरायें हुए, तू इजाजत दे तो, थोडी़ हँसी तुझसे उधार ले लूँ।
अब तो ऊब चुका हूँ सितारों से गुफ़्तगू करके, तेरे आने की ख़्वाहिश में मैने चाँद को रोके रखा है।
हद होती है हर बात की जाना, तेरे हर सितम पर भी मुझे तुझपे प्यार आया।