मातृ सुख

माँ की ममता का कोई मोल नही
जीवन तो क्षणभंगुर है
पर ममता है अटल और सत्य
जिसे पा लेने मात्र से
हो जाता है जीवन सफल।

हे करुणे ! तेरे करुणा की छाया
मिलती रहे सदैव,
जीवन की वह प्रथम किलकारी
तेरे होने का आभास कराती है।

तेरे गर्भ में भी तुझे पाने की चेष्टा की हूँ मैं
ज्ञात था मुझे सुरक्षित हूँ तेरे गर्भ में भी मैं
मेरे आने पर जो
अपार सुख का आभास हुआ था तूझे।

कपोलों पर वह प्रथम चुम्बन जैसे
अलसायी पुष्पों पर वह प्रथम शिशिर की बूँदे
तेर आलिंगन में मेरा वह शब्द बोध
कैसे समझ गयी थी तू।

मेरी वह दंन्तुरित मुस्कान जैसे
शशि का अन्तर्हित क्रीड़ा भाव
कर देता है तूझे भाव विभोर
हठ भी कि तुझी से मैं।

खडे़ होने का वह सुख
तेरे ही आलम्बन में पाया हमने
नन्हें कदमों की चहल कदमी तेरे
हृदय में भर देता सा सुख का सागर।

हे करुणे ! तूझे शत् शत् नमन
बहता रहे तेरे प्रेम रुपी सरोवर का जल
देता रहे मुझे सदैव शीतल सुख।