निज आशा का संचार करो सुनीता गोंड नव पल्लव का शृंगार करोउस आभा का आभार भरोकिंचित सकुचायी जो स्नेह लताफिर प्रेम से सिंचित प्राण भरो।।जीवन के शान्त कछारों मेंनिज आशा का संचार करोकटुता जो मिले हृदय में भीफिर फिर ना उसका ध्यान धरो ।नामहीन उस पथ पर भीतुम धैर्य का धीरज पाँव धरोमिल जाएगी राह कभीउस ईश्वर से तुम विनय करो।।मन की आततायी पीडा़ परतुम करुणा का लेप करोमिल जाएगा शीतल सा सुखवह मलिन वसन तुम फेंक तो दो।तिमिर कालिमा ले आयेघनघोर अंधेरा छा जायेतुम विकल पाँव पीछे ना धरोबस आस का दीप जला तो दो।।