ईद मुबारक

ईद मुबारक सबको
मेरे ये गीत मुबारक सबको
बाहों में बाहें डा़ले
प्रीत मुबारक सबको।

रमजान गया जो बीत
चाँद गया जो दिख
खुशियों ने दी है दस्तक
हर दिन हो जाये बरकत।

ना हो सेवईयाँ,
ना हो खीर
गुड़ संग ईद मनाओ मिल
हो जाओ इक दूजे के
बंन्धु भाई या हो मित्र।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
हो जाओ सब भाई भाई
खाला, मौसी या हो ताई
सबका इश्क़ एक सा भाई।

मिलो जुलो सब एक हो जाओ
गिले शिकवें सब दूर भगाओ
नन्हें मुन्ने निकले घर से
ऐसा लगे फरिश्तें आये।

गली मुहल्लों की ये रौनक
हर तरफ की चहल पहल
ऐसा लगे ख़ुदा आए हैं
लेकर कोई शुभ संदेश।

धर्म का कोई बंन्धन ना हो
ना हो कोई पीर
मुस्लिम भाई की सेवईयाँ हो
या हिन्दू भाई की खीर।

स्वाद वही है मीठा मीठा
जैसे है अमृत
ऐसी खुशियाँ रोज ही आयें
ईद का मौसम जल्दी लायें।

साथ साथ संकल्प भी लायें
इस वादे संग हिल मिल जायें
ना मन में कोई मैल समाएँ
आओ हम सब ईद मनाएं।।