प्रिय की बाहों का हार मिले

प्रिय की बाहों का हार मिले
ऐसा ही कुछ उपहार मिले
ले चल मुझको उस पार कहीं
जिसके पिछे संसार नहीं।

है जीवन का उद्धार वही
प्रिय से सब कुछ मैं हार गयी
इससे बढ़कर कुछ चाह नही
जो माँगा था मिल गया वही।

ह्दय पर ऐसा कुछ भार नही
मन का कुछ उद्गार नही
जीवन रेखा का चक्र वही
जो मिल जाये स्वीकार वही ।

रिश्तों की टूटी आस सही
प्यार से सीचीं धार सही
छोटी सी एक बात वही
तुमसे अपनी हर राह सही।