अनन्तता

स्मृतियों का एक चुनिन्दा पल
जो मेरे ह्दय की गहराईयों में स्थित है,
उसमें भी तुम यूँ ही विचरते हो
जैसे कोई तड़ित
जैसे कोई बादल हो
जो मेरे समक्ष आकर
बरस जाने को हो आतुर
देखती हूँ मैं यूँ ही शून्य गगन में,
विस्तृत इस गगन के अंतिम छोर पर
तुम खडे़ हो निश्चिंत मेरी प्रतीक्षा में
मैं पल प्रतिपल तुम्हारी ओर अग्रसर हूँ
और कर लेती हूँ तुम्हें आलिंगनबद्ध
उस अनंत अवस्था तक
प्राणों का प्राणों से
जब तक ना हो विच्छेद।