सरल सी बात

सरल सी बात को इतना कठिन तुम क्यों बनाते हो
किसी मुफ़लिस को डाट में अंग्रेज़ी क्यों सुनाते हो।

तुम्हारी है ज़मीं और ये आसमाँ भी तुम्हारा है
हमें मालूम हैं ये सब मगर क्यों रोज़ बताते हो।

विदेशी गाड़ियाँ तुम खूब दौड़ाओ सौ की स्पीड में
मगर फुटपाथ पर तुम देर रात को क्यों चलाते हो।

तुम्हारी गोद में बैठा वो महंगा पालतू कुत्ता
सुना है उसको बस तुम मिनरल वॉटर पिलाते हो।

कोई भूखा मिल जाए अगर तुम्हें हाथ फैलाते हुए
कड़ी आवाज़ में उसको ख़ुद से दूर भगाते हो।

कभी गलती से भी तुम चार-आने देके आते हो
सुना है हर एक एंगल से कई सेल्फ़ी उठाते हो।

ज़रा सा दर्द नहीं होता तुम्हें उनके हाल पर
मगर तुम सीना तान के खुद को इन्सान बताते हो।