कोरोना वायरस
चीन ने घोला है जहर
फैला है कोरोना का कहर
डर भी है आठो पहर
गतिरूद्भ है सारा शहर।
इस का ना हे कोई रूप
इसका ना है कुछ आकार
है बहुत से इसमे विकार
है यह विषो का आगार।
खामोशिया हैं हर ओर
बीमारियों का भी है शोर
चेहरे यहाँ देखते नही
मास्क मय होती है भोर।
रेल नहीं मेले नही
रिक्शा नहीं ठेले नही
जीवन की इस भागदौड़ में
कभी ऐसे पल झेले नही।
कैसा समय कैसी सदी
हर पल यहाँ त्रासदी
इस वायरस के प्रकोप से
थम सी गई है जीवन नदी।