मेरी माँ

कभी मेरी भी थी माँ
जो मेरे चेहरे से मुझे भांप लेती
अपनी ममता-मयी आँखो से सब नाप लेती

कहाँ से आया हूँ कहाँ जाना है
क्या करना है क्या खाना है सब जानती थी
पता नहीं क्यूँ मेरी हर बात मानती थी।

कड़ी मेहनत से मुझे पढाया लिखाया
जिंदगी जीने का सलीका सिखाया
आर्थिक धार्मिक और दिये पारिवारिक संस्कार
पशु पक्षियों से प्यार और करो पर-उपकार
राष्ट्र सेवा है सर्वोपरि और दान पुण्य हैं मानव धर्म
भूखे को रोटी असहाय की मदद यही है असली कर्म
मेरी सुनती अपनी कहती और सब समझाती
पत्नी मेरी को अपनी बेटी बताती

पोते पोती को लाड लडाया
दादी होने का फर्ज निभाया
करती थी हमेशा मुझ से बहुत प्यार
बच्चों को भी दिए अच्छे संस्कार
मेरी माँ हमारा संसार थी
शायद माँ कौशल्या का अवतार थी
हे मालिक वही माँ ही देना हर जन्म
जिसको है शत शत नमन
शत शत नमन।