इंसानियत

धरती से गायब है इंसानियत
इंसान बन रहा जानवर
जानवर दिखा रहे इंसानियत
कुतिया को देखा बिल्ली के बच्चे को दूध पिलाते
बंदरी को देखा इंसान के बच्चे को सहलाते
इंसान को देखा महिलाओं को रूलाते।

धरती से गायब है इंसानियत
अपना पराया ना समझे
कैसा है इंसान
हाय हाय पैसा, जायदाद और धन
महिलाओं के प्रति काला है मन
मदिरा पिये और खाये जहरीला अन्न।

धरती से गायब है इंसानियत
गंदे विचार और गंदी हो गई कमाई
लालच और ईर्ष्या है कूट कूट समाई
झूठ फरेब और धोखे से दुनिया भरमाई
यही सब राजनेताओं ने है सिखाई।

धरती से गायब है इंसानियत
हर तरफ चोरी ठगी और बेईमानी
मंत्री, विधायक, अफसर करते मनमानी
मजबूर जनता चाहे कितनी भी हो सयानी
महंगाई और घूस की मार पड़ती है खानी
धरती से गायब है इंसानियत।