इंतजार

आज भी इंतजार बाकी है
उनसे क़रार होना बाकी है।

हसरत-ए-दिल निकल लो आकर
अब भी फस़्ल-ए-बहार बाकी है।

ये दिखावे के नाज नखरे हैं
तेरी आँखों में प्यार बाकी है।

डगमगाते क़दम है यूँ मेरे
उस ऩजर का खुमार बाकी है।

हर भ्रम टूटता गया बस
इक तेरा ऐतबार बाकी है।

मौत आवाज मत लगा मुझ पर
जिंदगी का उधार बाकी है ।

मीर-ओ-गालिब जिगर की सफहो में
मेरा होना शुमार बाकी है।

तेरी ख़ातिर दुआयें करने को
अब भी यह ख़ाकसार बाकी है।

यह भी कुछ कम नहीं मेरे “मोहन”
कोई तो गुनगुसार बाकी है।