संघर्ष ही जीवन

संघर्ष ही जीवन मेरा
कभी दुख ने घेरा
कभी खुशियों का डेरा
अधर मे अटका मन मेरा।

पग पग पर द्वंद्व की सीमायें चिपट रही हैं
मंजिल अंतहीन व्योम मे लिपट रही है
सफलताएं असफल हो कर सिमट रही हैं
संघर्ष की सीमायें अभी भी लिपट रही हैं।

संघर्ष मे अटका जीवन मेरा
मशाल हाथ में उठाये हुए
सफलता को लक्ष्य बनाए हुए
ढूँढ रहा ‘मोहन’ उम्मीद का सवेरा।