संघर्ष ही जीवन डॉ मोहन लाल अरोड़ा संघर्ष ही जीवन मेराकभी दुख ने घेराकभी खुशियों का डेराअधर मे अटका मन मेरा।पग पग पर द्वंद्व की सीमायें चिपट रही हैंमंजिल अंतहीन व्योम मे लिपट रही हैसफलताएं असफल हो कर सिमट रही हैंसंघर्ष की सीमायें अभी भी लिपट रही हैं।संघर्ष मे अटका जीवन मेरामशाल हाथ में उठाये हुएसफलता को लक्ष्य बनाए हुएढूँढ रहा ‘मोहन’ उम्मीद का सवेरा।