अकेले हो तो एक काम करिए ख़्यालों मे कुछ पल मेरे नाम करिए।
ऐसी रचना पढ़िये तन्हाई मे कि नमी आ जाए दीवारों की गहराई में जमाने से जब मिले तो हँसना सिखा दर्द आंसूओ मे पिरोने का ना गुर हमें दिखा कौन हमारी आहो को समझता यहां तमाशबीनों के शहर मे ‘मोहन’ तेरी हस्ती कहां ?