मेरे हमनवा यूँ सितम ना कर मोहब्बत का मारा हूँ, थोड़ा रहम कर ले ले तू चाहे मेरी जान, पर यह चाहत कभी कम ना कर मेरी भी खुशियां हो मुबारक तुझे खुश रहना सदा, तू कोई गम न कर मैं तुम्हारा था और तुम्हारा ही रहूँगा। मैं किसी और का हूँ ऐसा वहम न कर सांसे रुकने के बाद भी रहेगी चाहत तुझसे ये ‘मोहन’ का वादा हैं एक ऐतबार मुझ पर भी कर तेरा हूँ तेरा ही रहूँगा।