मनमौजी

तदा यदा कदा लिए
कहाँ चले ध्वजा लिए
अरसा हुआ नया लिए
फटा मिला सिला लिए
हाव भाव ताव मे
अभाव के प्रभाव मे
पीर सिंधु पार कर
नगर नगर डगर डगर
प्रीत की शिखा लिए
द्वार खटखटा लिए।