आत्मा देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' अंश है परमात्मा का,ज्यों सागर और बूंदेमाया की है इक नदीमोह जीवनधारा है।आत्मा का सच यही हैयही ज्ञान सारा है।घटाकाश है और नभ हैदोनों ही आकाश हैकिन्तु घट की सीमा मेंबंधा हुआ आकाश है।सृष्टि के संदर्भ कोघट का अस्तित्व हैवस्तुतः दोनोंएक ही तत्व है।