हम तुम जब मिले थे रोम रोम पुलकित हुआ था ना तुमने जाना था कुछ ना मैंने जाना था बस विचार मिल गए थे मन भी कहीं हम दोनों के एक हो गए थे मर्यादा के साथ भी जुड़े थे पर हम दोनों कितने ही पवित्र प्रेम में थे पर, सामना करने में तुम कहीं समर्थ नहीं थे क्यों, हम तुम फिर भी अलग नहीं थे समाज का दंश चुभता था पर फिर भी अनोखे जुड़ाव में तुम थे बताऊं क्यों थे, वो इसलिए एक थे हम तुम में मैं (अहम) नही था, बस हम दोनों सिर्फ हम थे सिर्फ हम थे।