हम टूट कर कई बार बिखरे जुड़े नही फिर साख पर कतरा कतरा बहते गए मिले नही फिर राह पर पतझड़ में तो सभी हैं बिखरते हम बिखरे वसंत आने पर कोई आहट न हुई फिर राह पर ता उम्र जागे इंतजार में साहिल की तलाश में न कोई मंजिल मिली ना कोई ऐसी राह मिली पाएं हम किसी को ऐसा न कोई सिला मिला बिखरना था, बिखर गए जुड़े नही फिर शाख पर ॥