हास्य व्यंग्य

सुनो राज की बात बताऊं
एक राज था ये बतलाऊं
जाने कैसे भभक के शोला
बन जाता वो, पल में माशा
पल में बन जाता तोला वो
दूर रहें आकर्षण से
वो चाक चौबंद रहें ,
हास्य व्यंग्य लिख कर वो तो
दिल का दर्द कहे
सुनो जी
दिल का दर्द कहे।

ऐसे ऐसे राज छुपाएं
दिल में अपने वो
कहें न वो कुछ भी ऐसे
दिलदार वो बन जाए
कहे कंचन सुनो ना
राज था वो ऐसा
दर्द था उसके दिल में कैसा
ये समझ न आए
हाय ! ये समझ न आए।