मूक पशु की वेदना

मूक पशु की वेदना
समझे कोई ना
मौन रहकर ही
वो सहते प्रताड़ना।

जाड़ों में ठिठुरते हुए
बदन से लरजते हुए
कोई न समझे इनकी वेदना
होते हैं ये प्यार के भूखे
इंसानों से होते अधिक सच्चे
न इनमें ईर्ष्या, न इनमें बैर
वफादारी निभाते उससे
जो दे देता उनको दूध या ब्रेड
आप भी दुलार कर देखो
लेंगे ये फिर
आपकी खबर और खैर।