उम्मीद तेरे लौट आने की

जैसे जैसे
तुम
अपना हाथ
छुड़ाते गए
वैसे वैसे
मैं अपनी
इच्छाओं को
समेट कर
खुद में ही
सिकुड़ती गई।

कशिश की कशिश
कब तुम्हारे लिए
खो सी गई थी
इंतज़ार की पीड़ा
सहकर तुमसे
रूठ सी गई थी।

हाँ
दिल टूट गया
था मेरा
जब तुम गए
छोड़ कर मुझे
आज तक
कर रही हूँ
इंतजार
कब आएगा मेरा प्यार
तुमने ही कहा था
जन्मों तक का है साथ
फ़िर
इंतजार की पीड़ा
क्यों,
वो उम्मीद
तेरे लौट आने की
आज भी क्यों है।