खुशियाँ अपनों में ही होती हैं, गैर तो गैर ही होते हैं, कुछ कर देते नाखूनों को उंगलियों से अलग पर दर्द की अनुभूति अपनों से ही होती है, दिल छोटा रखने वालों दूसरों के सुख में शामिल हो कर तो देखो तुम, फ़िर देखो कैसे तकदीर बदलती है, दिल साफ होते हैं जिनके उनकी तो कुछ बात ही अलग होती है, बात बात पर रिश्ते तार तार नहीं होते, निभाने वाले गर हों तो कभी रूठा-राठी नहीं होती है हमें तो नाज़ है उन रिश्तों पर जिनकी तकदीर में वफ़ा लिखी होती है।