इम्तिहान
जिंदगी पल पल
इम्तिहान लेती है,
दोस्तों की भी
पहचान करा देती है
हमको जिसका गुमान था
कभी
उन रिश्तों की खोखली
पहचान दिखा देती है।
दोस्तों में ही अक्सर जान बसा करती है
जान में ज़हर घुल जाए अगर
तो सब कुछ खत्म करा देती है
जरा सा क्या हुआ जिंदगी में
सामने वाले की
असलियत पता लगा लेती है
जिंदगी पल पल
इम्तिहान लेती है।
दोस्तों में दुश्मन की
पहचान करा देती है
हमे नाज़ है
कुछ अपने उन दोस्तों पर
जिनकी संजीवनी बूटी से
हमारे अंदर जान आ जाया करती है
संजीवनी बूटी मृत शरीर में
डाल देती है जैसे जान
ऐसे ही ये अनमोल रिश्ते
बना लेते हैं अपनी पहचान।
हो मधुरता अपने अंदर
जीवन से जुड़े हों जो हमसे
उनको दो तुम विश्वास
उनको दो तुम भरोसा
उनको दो तुम निश्चल प्रेम
बने मधुरता शहद सी
आए मृत शरीर में जान
आए मृत शरीर मे जान॥