सुनो सुंदर देवियों वाक्या, मनोरम है हठी झरना । भीगी जैसी छवियां तपस्या, रोशनी क्यों है छोड़ना ? मंदिर की घंटियां बेहया, मांग पर सम्भव बजना । रिश्ता में है हया, प्रीत भी और वासना । रस्म अदायगी है दया, ख्वाहिश पूर्ति की साधना । कुछ तो अनमने जीया , कुछ बिगड़ा या बना । मंजर है मौसमी वेश्या , खता से शुरू वेदना । तिमिर का है क्या, यकीन का क्या मुआयना?? मिट्टी का है दीया, मना कहां था जलना???