खता

कुछ नहीं मिलता फोकट,
यह सब को पता है ।
दिल फिर भी नटखट,
जो सदा कहानी रचता है ।
इश्क भी नहीं चटपट,
कई रंग लापता हैं ।
अश्क आंखों में डट,
बताया कि खता है ।
अम्बर से लेकर पनघट,
कुछ नहीं सस्ता है ।
हर ओर है मरघट,
बेसुरा राग आहिस्ता – आहिस्ता है ।
राहें भटकाव और कपट,
वादा बस फरिश्ता है ।
दूर मंजिल है केवट,
जिंदगी से वार्ता है ।
मछलियां नदी में छटपट,
अंधेरे से वास्ता है ।
शिकारी के सब लटपट,
मौसम भी अटपटा है ।