मुझे ख़त लिखना

दर्द एहसास जताए, तो मुझे खत लिखना
रास, परिहास न आए, तो मुझे खत लिखना।

गुनगुनाएँ जो भ्रमर, और सुमन खिल जाएँ,
गंध कलियाँ भी लुटाएँ, तो मुझे खत लिखना।

मेघ मौसम में जो गरजें, कि मयूरी पिंहँके,
“पी” पपीहा जो बुलाए, तो मुझे खत लिखना।

बैठ कर आम की डाली,पे कोयलिया काली,
कूक जब हूक उठाए, तो मुझे खत लिखना।

आँजते नैन शरारत, पे उतर आएँ गर,
देख दर्पन भी लजाए, तो मुझे खत लिखना।

रात कटने पे न आए, जो बदलते करवट,
नींद नैनों में न आए, तो मुझे खत लिखना।

कौन जाने कि अकेले, में तड़पता हो दिल,
याद झूले पे झुलाए, तो मुझे खत लिखना।

प्रीति कमसिन, है न तरसे, न विकल हो ‘सागर’,
दिल सम्हलने पे न आए, तो मुझे खत लिखना।