फटे जूते देख मुझे बहुत कुछ कहा कभी लोगो की बातो को बहुत मैने सहा अभी कुछ ने दीन कहा तो कुछ ने लाचार कुछ ने भिक्षु तो कुछ ने कहा गंवार अपनी औलाद को ये ना सुनना पढ़े घिस कर पैरों के साथ चले कुछ अड़े नये जूतो की खातिर बाप सब कुछ सहता है तभी तो जग औलाद को कोई बाबू कहता है तुम खुश रहो हमेशा ये जमाना अब तुम्हारा है अपनी तो बीत गई जिंदगी बस सहारा तुम्हारा है कुछ दे ना सके ते आशीष तो दे सकते हैं एक अच्छी औलाद की उम्मीद तो कर सकते है।