फाटक का दर्द

ये फाटक था
इसका दर्द तो जानो दोस्तों
संग दोनो रहते थे
एक दूसरे का पकड़े हाथ
कभी साथ ना छोड़ते थे,
रहते थे हमेशा साथ
हर ऋतु झेली संग,
शीत, ग्रीष्म, बरखा, बसंत
सदियों से पहरा देते रहे
कभी आँख ना फेरी
प्रातः दोपहर, संध्या,
शाम, रात्रि की चाहे देरी
इन इन्सानो के बंटवारे ने
हमको सबसे दूर किया
खड़ी हुई दीवार
फाट कर दिये दो,
हमको दूर किया
वाह ! रे अजब है
तूने दर्द ना समझा,
हमने ये महसूस किया।