कवि बना दिया
अच्छे भले बैठे थे ये क्या बना दिया !
एक भले मानस को कवि बना दिया !!
ना लिखा था कभी एक लफ्ज़ मुहब्बत पर,
सब ने मिल कर मुझे एक आशिक बना दिया!
अच्छे भले बैठे थे ये क्या बना दिया।
दूर दूर तक ये मालूम ना था कि कली क्या होती है
इन कवि जनो ने मिल कर पूरा गुलिस्ताँ दिखा दिया।
अच्छे भले बैठे थे ये क्या बना दिया।
जाते थे काम पर घूमते थे सारा जहां कभी हम ,
निकम्मा बिठा के घर मै अब क्या कलम थमा दिया !
अच्छे भले बैठे थे ये क्या बना दिया।
कभी जज़्बात ना उभरे दिल में प्यार के हमारे ,
अब तो दिन और रात का सारा चैन उड़ा दिया।
अच्छे भले बैठे थे ये क्या बना दिया।
नहीं मालूम था कि मै भी कभी लिख सकता हूँ ,
भाई कवि, बहनें कवि मित्र गण ने मुझे कवि बना दिया।
अच्छे भले बैठे थे ये क्या बना दिया।
अब तो ऐसा लगता है काश बहुत पहले लिखता मै,
ज़िन्दगी का एक लंबा समय यूं ही गवा दिया।
अच्छे भले बैठे थे ये क्या बना दिया
एक भले मानस को कवि बना दिया।