होश

क्या करूँ अब होश नही रहता !
होश में तो हूँ पर, होश नही रहता ।

ज़िन्दगी चल रही है यू ही अन्जान राह पर
कहां जा रही है कुछ खबर नही है पर
क्या करूँ अब होश नहीं रहता
होश में तो हूँ पर होश नहीं रहता ।

कब गुज़रा बचपन, गई कब जवानी याद नही
अब बुढ़ापे में आकर सोचा क्या याद नही
क्या करूँ अब होश नही रहता !
होश में तो हूँ पर होश नही रहता ।

मुश्किलें झेली, गम भी झेले, कोई साथी ना मिला
था कोई या बिछड़ गया या जो फिर ना मिला
क्या करूँ अब होश नही रहता !
होश में तो हूँ पर होश नही रहता ।
मेरे जज़्बात हर शख्स समझ नही सकता
जो समझे वो शायद कभी मिल नही सकता
क्या करूँ अब होश नही रहता !
होश में तो हूँ पर होश नही रहता ।

अपने आप से ‘राजन’ बाते करले तू अभी
फिर ना ये कहना कि वक्त नही रहा अभी
क्या करूँ अब होश नही रहता !
होश में तो हूँ पर होश नही रहता।