मौत

मौत की खबर सुनते
सब अपने पराये हो जाते हैं
लाश को लिटा एक जगह
सब उससे दूर हो जाते हैं
कोई कहता रात भर मत,
रखना ये अब नही रहा !
कल तक इसी घर में अपनो,
के बीच जो सदा रहा !
पेड़ की छाया बन देता था,
ठंडी हवा इस आँगन में कभी !
उसी आँगन में धरती पर खामोश,
बर्फ बना पड़ा था अभी।

सजा कर अर्थी पर ओढ़ाए,
कई दो शाला उसके ऊपर
जब पहुँचें श्मशान तो उतार ,
फेंके बस कफन था ऊपर !
मिला दिया खाक में
ना रोक सका, अपना पराया कोई भी
ज़िन्दगी की हकीकत है ‘राजन’
जो आया वो जायेगा भी॥