हर सुबह आती है फिर सोचता हूँ क्या करूँ निकम्मे काम पर लग गया और क्या करूँ निकम्मा ही सही कुछ पल तो दिल बहल जाता है कुछ पुराने कुछ नये दोस्तों से कुछ ज्ञान तो मिल जाता है कल रहे ना रहे क्या भरोसा इस ज़िन्दगी का ऐ दोस्तों आज तो तुम्हारे संग हंसी खुशी का एक पल बीत जाता है जानता हूँ कल मेरे ना लिखने पर कुछ तो उदास हो जाएंगे ! फिर परसो इस भरी दुनिया में कई और ‘राजन’ मिल जाएंगे।