ग़मों की बदलियाँ छट जायेंगी खुशियाँ फिर से लौट आयेंगी।
जो बिछड़ गये उन्हे हम ना भूलेंगे ये दौर आया था इसे कैसे यूँ भूलेंगे।
फिर चहकेंगी चिड़ियाँ आँगन में फिर खेलेंगे बाल गोपाल आँगन में फिर बजेंगी घंटियाँ पूजा मंदिर में फिर कीर्तन होंगे हर गुरुद्वारे में अज़ान पढेंगे मस्जिद में प्रेयर गिरजाघर में।
उस रब पर सबको भरोसा रखना है फिर कोई पाप ना हो ये प्रण सबको करना है ‘राजन’ हो या रंक सभी यहाँ मेहमान आये ना समझो सब कुछ अपना, क्या तुम लेकर आये।