त्रासदी

अभी दिल किसी का जगह पर नही
उथल पुथल चल रही है
कही मौत का मंजर तो कही हर ओर
गम की आँधी चल रही है।

किसी ने सुहाग खोया अपना तो
किसी ने लाल गँवा दिया
किसी ने माँ बाप खोये, अपने खोये
किसी ने भाई गवा दिया।

किसी के पास सब कुछ होते कुछ नही
किसी ने होते हुये दबा लिया
कहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नही
यहाँ तो सभी ने अंधेर मचा दिया।

किसी की जान बच जाये ऐसा नेक काम करो
कुदरत की हवा पर हक जमा लिया
ऐ इंसान पूजता है तू दिन रात परमात्मा को
उसी परमात्मा को तूने भुला दिया।

कई ‘राजन’ आये इस जहाँ मे शान दिखाने को
इस त्रासदी के आगे सिर झुका दिया।