त्रासदी विनोद ढींगरा ‘राजन’ अभी दिल किसी का जगह पर नहीउथल पुथल चल रही हैकही मौत का मंजर तो कही हर ओरगम की आँधी चल रही है।किसी ने सुहाग खोया अपना तोकिसी ने लाल गँवा दियाकिसी ने माँ बाप खोये, अपने खोयेकिसी ने भाई गवा दिया।किसी के पास सब कुछ होते कुछ नहीकिसी ने होते हुये दबा लियाकहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नहीयहाँ तो सभी ने अंधेर मचा दिया।किसी की जान बच जाये ऐसा नेक काम करोकुदरत की हवा पर हक जमा लियाऐ इंसान पूजता है तू दिन रात परमात्मा कोउसी परमात्मा को तूने भुला दिया।कई ‘राजन’ आये इस जहाँ मे शान दिखाने कोइस त्रासदी के आगे सिर झुका दिया।