शिक्षक

जो राह दिखाने वाला है
वह शिक्षक है तुम जानो तो,
जो भाव जगाने वाला है
वह शिक्षक है पहचानो तो।
युगों-युगों टिक सकता है
वह पर्वत भी हो सकता है,
ग़म की नदियाँ पी सकता है
वह सागर भी हो सकता है।
सबसे निचले हिस्से में देखो
जल कैसे आ जाता है,
राह बिना अवरुद्ध किए
आगे अविरल बढ़ जाता है।
जल जैसे सरल तरल बनना
और सबकी प्यास बुझाना है,
जल कहता नीचे रहकर भी
सबसे ऊँचा हो जाना है।

जो धुन्ध मिटाने वाला है
वह शिक्षक है तुम जानो तो,
जो दृश्य दिखाने वाला है
वह शिक्षक है पहचानो तो।
नदियाँ सागर की ओर बहें,
अग्नि अम्बर की ओर जले,
सूरज धरती चाँद सितारे
लघु गुरू का ठौर निहारे।
मन भागे कितने दर भटके
अपनाए कितनों को झटके,
ढूँढे कण-कण में निज तन को
चितवे जग को अंतर्मन को।
तन का मन का चेतनता का
जग कला कृत्य है ईश्वर का,
जीवन की अविरल धारा में
इक-इक कण बहता जाता है,
अपने होने में ईश्वर की
सदैव अनुभूति कराता है।

जो अलख जगाने वाला है
वह शिक्षक है तुम जानो तो,
जो तुम्हें जगाने वाला है
वह शिक्षक है पहचानो तो।
सुख की कलियाँ दुख के शूल,
जीवन वट के अद्भुत मूल,
सुख सत्कर्मों का परिणाम,
दुख जीवन का तप संग्राम।
आत्मबल, सहनशीलता
और पौरुष का समीक्षक है,
सुख से सीखो दुख से सीखो,
यह सुख दुख भी तो शिक्षक हैं।
जो सीख नहीं पाते खुद से
है समय उन्हें सिखला देता,
पलक झपकते आसमान से
धरती पर है ला देता।