दिल जख्मों का है ठिकाना

दिल जख्मों का है ठिकाना
प्यार तो है बस एक बहाना
तूफां दिल मे कब आ जाए
कब मिल जाये ग़म का नज़राना।
दिल जख्मों का है ठिकाना।

उपर फूलो की सेज सजी
नीचे काँटों का बिस्तर है
धूप मे ग़म की जलता हुआ
इक ख़ामोशी का मंजर है
नफ़रत के जहाँ के लोगों की
फितरत की क्या हम बात करें
एक हाथ में जिनके मरहम
और दूजे मे चमकता ख़ंज़र है।
घायल दिल का ये अफसाना
दिल जख्मों का है ठिकाना।

दोष नहीं तक़दीरों का
ये इश्क़ कयामत है ऐसी
महफिल की खुशी बे-मतलब है
तन्हाई की आदत है ऐसी
वो दामन काँटों से भर दे
या खुशियों की तस्वीर जलाये
फर्क नहीं पड़ता कोई
रुसवाई की आदत है ऐसी
बदनामी का सबब पुराना।
दिल जख्मों का है ठिकाना।