उलफ़त देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' जमाने भर की खुशी देने का वादा किया था मैंनेएक मुस्कान भी उसके होठों पे ला नही पाया कभी।ए जिंदगी तुझको तेरी खुशियाँ मुबारक होमेरे लिए ग़म के सहारे बहुत हैं ।दुनियावालों के दिलासों पर भरोसा नहीं मुझकोइनके रहमो ने उजाड़े आशियाने बहुत हैं ।मेरे हमराज़ तुझे इस हाल मे तड़पता छोड़ दूँ कैसेतुझसे मेरी उलफत के फसाने बहुत हैं ।चाँदनी साथ न दे भी तो कोई बात नहींमेरे दामन मे चमकते सितारे बहुत हैं।