चाँदनी रात देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' चाँदनी रात का समा होगादिल को वो दर्द फिर जवां होगातेरी चाहत का भरम दिल मे जगाउँगा फिरमुस्कुराने की वजह ढूंढ के लाऊंगा फिरतेरा हर लफ्ज फिर बयां होगाचाँदनी रात का समा होगा।तू जरा देख कहाँ तक तू हैमैं जहां तक हूँ वहां तक तू हैकैसे तू मुझसे अब जुदा होगाचाँदनी रात का समा होगा।