इश्क़

लोग कहते जिसे मेरी दीवानगी
वो तेरे इश्क़ की इंतहा है सनम।

तुम भी गर इसे आवारगी का नाम दे दोगे
रहनुमा कोई इश्क़ का मेरे बाद न होगा।

मेरे आँसुओं से पूछो क्या खूब जिंदगी है
तेरी आरजू की लौ में जलती हर एक खुशी है।

साथी हजार होंगे चाहत के कारवां में
कोई हमसफर न हो तो बेआस जिंदगी है।

तूफान के सहारे साहिल पे आ गए हैं
पतवार से तो बेहतर तूफ़ां की बंदगी है।

शहर की गलियों में कितने आईने टूटे पड़े हैं
फिर भी लोग कर रहे पत्थरों से दिल्लगी है।