इम्तिहान

हर पल एक नया इम्तिहान लेके आया है
वक़्त ठोकरों भरा इनाम लेके आया है।

कदम रुक जाएंगे ऐसी तो कोई बात नही है
हर मोड़ पर मंजिलों का पैगाम लेके आया है।

अब सोचता हूँ शर्म से नजरें झुकाये क्यों चलूँ
इसी राह पर चलने का जब फरमान लेके आया है।

इस धूप की बिसात क्या मंजर जला सके
सहराओं में बारिश का इंतजाम लेके आया है।