कभी हमको अपना साथी बनाते

कभी हमको अपना साथी बनाते
मेरी हसरतों को दिल से लगाते,
तुम्हें सौंप देते हम मुस्कान अपनी
एहसास-ए ग़म जो हमे तुम दिलाते ।

कब तक ग़म को छुपाते रहोगे
खामोश दिल को जलाते रहोगे,
अगर मान लेते हमारा भी कहना
तो फिर तुम न यूँ ऐसे आँसू बहाते ।

साथ निभाने के वादे किए तुमने
जब वक़्त आया तो हाल न पूछा,

जो तन्हाइयों मे मेरे साथ होते
तो खुद को जमाने मे तन्हा न पाते ।

हमे बेवफा कह के दिल से निकाला
खुद भी वफा से किनारे रहे तुम,
अगर याद होती जफ़ायें भी तुमको
तो एक पल मे कैसे हमे भूल जाते ।

जमाने ने तुमको ठुकरा दिया तो
नजर मे हमारी उतरने को आए,
तुम इस कदर यूँ न बर्बाद होते
क्या है मोहब्बत अगर जान जाते।