सितम गुलों का न झेला जाएगा देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' अभी तो ये खेल खेला जाएगातुम्हारे पीछे सारा मेला जाएगाखुश है वो शख्स महफिले यार मेंदेखना शहर से अकेला जाएगामंजिल की ओर बढ़ चौकन्ना रहदर कदम पीछे से ढकेला जाएगाचुनता है फूल तू कांटे उखाड़करसितम गुलो का न झेला जाएगाखुशबू रहेगी गर सीरत में जोर हैरंग फ़कत कोई भी उड़ेला जाएगा।